मेरे एहसास

इस डायरी के पन्नों में मेरे कुछ एहसास हैं जिसे मैंने कविताओं और शायरी की शक्लों में उतारने का (असफल) प्रयास किया है.अगर इस डायरी को पढने के बाद मेरे प्रति आपके विचार में कोई परिवर्तन आते हैं तो इसके लिए माफ़ी चाहूँगा,पर किसी भी व्यक्ति की पूरी जिन्दगी में कई क्षण ऐसे तो आते ही हैं जब वो भावनात्मकं हो जाता है और कभी दर्द तो कभी संतुष्टि का एहसास करता है.
आपकी
टिप्पणी का मैं स्वागत करूंगा........

मौत के बाद जिन्दगी

१.    देखा था ख्वाब तुम आओगी
       इस रेगिस्तान सी जिन्दगी में,
      पानी की बूँद बनकर.                                      
        ख्वाब पूरा.......कह नहीं सकता
        प्यार के दुर्गम रास्ते पर चल तो
        पड़े थे हम पर नहीं सोचा ये रास्ता
आगे ख़तम हो जायेगा.
मैं उम्र के उस मोड़ पर
थक कर चूर हुआ
बैठ जाऊंगा और तुम...
लौट जाओगी  वापस मुझे छोड़
जहाँ से हम चले थे...
       एक नया रास्ता
       तुम्हारा इन्तजार करता होगा
और चल पडोगी तुम.
किसी और की हमसफ़र बनकर.
 

२.    थोड़ी हिम्मत जुटाऊंगा और
       वापस आऊंगा उस जगह
       जहाँ से तुम्हारा नया रास्ता.....
ख्वाब टूट गया ....
नहीं-नहीं...एक टूटा तो क्या,
तुम्हारी ख़ुशी चाही थी मैंने.
     मैं तो रेगिस्तान था,कैक्टस ही मेरी जिन्दगी में.
पानी की बूँद आई और चली गई
पता नहीं कहाँ
जमीन पर पडी होगी और छाई होगी
वहां हरियाली .



३. रेगिस्तान में पानी की बूँद,
  धुंधला सा चेहरा....
अब आई हो......
मौत के बाद जिन्दगी ?


Ek Din Aap Yun
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अभिव्यक्ति

एक आकांक्षा थी, संताप सहने की
दु:-दर्द -पीड़ा झेलने की
दुनिया तो दर्द की मारी है...
उन दिनों दर्द से काफ़ी नजदीकी हो गई थी मेरी
दर्द के लिए अपने को भूल जाना
मंजूर था मुझे
अपने को भुला जाना नही

अपने को भुलाकर किसी को पाना क्या पाना ?
लेकिन सच बताया हूँ आपको
अपने को भुलाने की
कोशिश भी की थी मैंने...
और ये मुझे गंवारा नही हुआ
लोग मेरी चुप्पी पे अंगुलियाँ उठाते रहे
लेकिन...वो शायद नही जानते थे कि....
चुप रहना-बोलने,चीखने और चिल्लाने की
चरम स्थिति है

हमें क्या मिला ?

छोड़ के चले जाओगे यूँ ,
उम्मीद थी मुझको
छुड़ा के दामन चले जाओगे यूँ
विश्वास था मुझको
वादा करके भूल जाओगे यूँ ,
ऐतवार था मुझको

बदलते मौसम की तरह उनके रंग बदलते हैं ।
कभी खफा तो कभी प्यार का
वे दम भरते हैं ।

मेरे दिल की धड़कन बन जाइए
तमन्ना ये मेरी है ।
साँसों में मेरी बस जाइए
गुजारिश यह मेरी है ।
प्यार में कोई शर्त न हो
अर्ज यह मेरी है ।

कितना अच्छा होता..
गर तुम न मिलते..
कभी प्यार न होता हममे ,
दुनिया की नजरों में
हम न खटकते ।

हमें क्या मिला...
प्यार करके।
तुम्हारी बेवफाई,
लोगों की आलोचनाओं
के सिवा ।



राह में कांटे भरे हैं


इस राह में कांटे भरे हैं,
जानता
हूँ मैं
एक आह में कितनी चुभन है,
जानता हूँ मै

निकला
मैं नंगे पाँव ,
फिर
भी प्यार के जूनून में
छाले
परे इस चाह में ,
यह
जानता हूँ मैं

किसी मनचले ने तोड़ा ,
मेरे गुलिस्तान का फूल
कांटे
ही शेष रह गए हैं,
जानता
हूँ मैं

हंस कर दिया मुझे
उसने
एक हसीन धोखा
वफ़ा
ही बेवफा हुए हैं
जानता
हूँ मैं

जिन्दा रहूँ तो कैसे
किसी
की बेवफाई में
मरना
अब उनकी याद में है,
जानता
हूँ मैं

गम जुदाई का

गम जुदाई का सह न पायेंगे
बिन तुम्हारे यूँ न रह पाएंगे।

आँख के जाम से
छलकेगी हमारी उल्फत,
दर्द होठों से न कह पायेंगे ।
दिल के शीशे में अक्स है तेरा
तेरी तस्वीर से क्यूं करके सुकून पाएंगे।
चाँद हमको नही भाता,
ये क्या हुआ है हमें?
तपिश जो चांदनी में,
हम वो सह न पाएंगे।

मौत आई थी हमें
साथ लिवाने के लिए
कहा हमने कि...
वो नही हैं हम न जायेंगे।

वो इधर आई होगी

तो फिर खिल गई
बागों में कलियाँ
किसी बेख्याली में
वो मुस्कराई होगी
कोयल भी भूल गई
अपने गीत गाना
बातों-बातों में हौले से
वो खिलखिलाई होगी

क्यों ठहर गया
वक्त का अचानक चलना?
अलसाई सी उसने
ली अंगड़ाई होगी.
भीनी सुगंध मौसम में
आई कहाँ से?
अपनी भींगी जुल्फें
उसने बिखराई होगी

बदला-बदला सा है,
मेरे घर का हर पहलू,
आज भूले से शायद
वो इधर आई होगी.

दीप बनकर जलूँगा मैं

दीप बनकर जलूँगा मैं
प्रिये तुम्हारी राह में
जानता हूँ इस जगत में
फूल की है आयु कितनी
और साँसों की उतरती
साँस में है वायु कितनी
अपनी जीवन वायु
भर दूँगा तेरे नि:श्वास में
दीप बनकर जलूँगा मैं
प्रिये तुम्हारी राह में ॥

जीवन समर में लड़ते-लड़ते
तुम जो कुम्हला जाओगे
दिवस के अवसान पर
जब तुम थक से जाओगे
बन संजीवन शक्ति
भर दूँगा तेरे उत्साह में
ध्रुवतारे सा दिखूंगा
तेरे नयनाकाश में
दीप बनकर जलूँगा मैं
प्रिये तुम्हारी राह में ॥

गर प्रलय की घड़ी भी आ जाए,
कोई गम न कर
सब सहारे छूट भी जाए
तो कोई गम न कर
तिनका बनकर मैं
मिलूंगा भंवर में, मंझधार में
दीप बनकर जलूँगा मैं
प्रिये तुम्हारी राह में ॥